क्या dream11 चाइनीस कंपनी है?
क्या dream11 को चीन के लोग चलाते हैं? और क्या dream11 का सारा पैसा चीन के पास जाता है और ऐसे ही कई सवाल है जो आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे? और अगर आपके मन में भी कोई सवाल हो तो कमेंट में यह सवाल जरूर पूछ लेना क्योंकि सारी चीजें आज हम क्लियर करेंगे।
Dream11 की कमाई कितनी होती है?
dream11 कितना पैसा कमाता है और उसके इनकम कहां से होती है और वह यूजर्स को कितना गिफ्ट देता है और अगर एक यूजर जीतता है तो dream11 से कितना मालामाल हो सकता है। यह सारी चीजें हम dream11 के बारे में जानेंगे। सबसे पहले एक चीज में क्लियर कट कर देना चाहता हूं कि dream11 कोई भी पैसा किसी भी प्रकार के गूगल एडवर्टाइजमेंट से नहीं कमाता है।
वह जितना भी पैसा कमाता है केवल उसके प्लेटफार्म की फीस से ही कमाता है क्योंकि आपने देखा होगा कि अगर dream11 पर आप कोई भी मैच खेलते हो और दो जन मैच खेलते हैं तो 15 और ₹15 अगर आप लगाते हो तो जीतने वाला अमाउंट होता है ₹25 यानी कि ₹5 होता है वह उसकी फीस और उसी फीस को वह अपनी अर्निंग के रूप में रहता है और ऐसे करोड़ों रुपए का उसका कारोबार होता है और करोड़ों रुपए कि उसे फीस मिलती है।
Dream11 में कई सॉफ्टवेयर इंजीनियर, साइंटिस्ट और ऐसे कई एनालिस्ट काम करते हैं जिनको काफी सैलरी मिलती है तो फिर बात यह है कि इतनी सारी सैलरीज कैसे दी जाती है। मात्र एक गेमिंग प्लेटफार्म से, तो आपको यह बता दूं गेमिंग एक लग्जरी है और जिसमे बहुत लोग नहा रहे हैं।
सॉफ्ट बैंक का निवेश
यूट्यूब पर कैरीमीनाटी के अनुसार गेमिंग एक बहुत बड़ी लग्जरी है और बहुत लोग को ये करना चाहिए। गेमिंग में बहुत सारा स्कोप भी है और इस इसका फायदा उठाना है तो अभी गेमिंग में लग जाओ। चीन की सॉफ्ट बैंक ने इंडिया की कई यूनिकॉर्न कंपनी में पैसा लगाया है और dream11 भी उनमें से एक है। Dream11 के अंदर पैसा लगाने में मुख्य रूप से सॉफ्ट बैंक है, जिसने काफी सारा पैसा लगा दिया। उसकी वजह से dream11 की वैल्यूएशन आज अरबों रुपए हो गई है और इन्हीं अरबों रुपए की वजह से dream11 आज एक बहुत बड़ी यूनिकॉर्न बन चुकी है।
Dream11 कैसे बना यूनिकॉर्न?
यूनिकॉर्न मतलब करोड़ों का कारोबार करने वाली कंपनी और इसी कंपनी को काफी ज्यादा टर्न ओवर भी होता है और इसी टर्नओवर का काफी बड़ा हिस्सा चाइना को जाता है। और इसी वजह से अगर एक बार एक हिसाब से देखा जाए तो कह सकते हैं कि dream11 भी चाइना की कंपनी है और हमें इसका भी बायकॉट करना चाहिए क्योंकि हम चाइनीस प्रोडक्ट का अगर बायकाट कर रहे हैं तो फिर dream11 को क्यों छोड़े?
क्योंकि यह भी एक चाइनीस प्रोडक्ट ही है। चाहे वह सॉफ्टवेयर हो या कोई फिजिकल प्रोडक्ट हो प्रोडक्ट तो प्रोडक्ट ही होता है !
गलवान घाटी का मुद्दा
तो कई सारे मुद्दे हैं जो हमें देखने पड़ेंगे या फिर हम चाइना के साथ एक्सपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दे या फिर कुछ ऐसी चीजें करें जिसे चाइना की हमारे देश से अधिक आमदनी है जो कम हो जाए और हम थोड़ा ज्यादा मालामाल हो जाए। ऐसी बहुत सारी चीज है जो हमारे देश को करनी चाहिए और भारत ऐसी बहुत सारी चीजों पर फोकस रख रहा है और चाइना को मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। इसी मुंहतोड़ जवाब में चीन की कमर पूरी तरह से टूट गई है क्योंकि गलवान घाटी में जो हिंसा हुई, उसमें भारत के 20 सैनिक मरे और चीन के भी 45 से 48 सैनिक मारे गए।
अब जानकारी यह भी आ रही है कि चीन ने मरने वालों को 2 करोड़ का मुआवजा भी दिया है। अब आप समझ गए होंगे कि मुआवजा चीन ने बताया क्योंकि चीन भारत को नीचा दिखाना चाहता था। वह बताना चाहता था कि चीन सैनिकों को 2-2 करोड़ का मुआवजा दे सकता है, लेकिन भारत कुछ नहीं दे सकता। ऐसे ही कोरोनावायरस की इस लड़ाई में चीन ने पूरी दुनिया को कमजोर कर दिया। अब यह स्थिति आ चुकी है कि कोरोना से तो हम बहुत हद तक लड़ चुके हैं।
क्यों जरुरी है ऐसे देशो से लड़ना?
लेकिन अब हमें चीन जैसे शत्रु देश से भी लड़ना होगा। ऐसे शत्रु देश का अगर डटकर सामना किया गया तो कोई हमारा बाल भी बांका नहीं कर पाएगा और यही स्थिति है कि हमारे देश के पास का देश नेपाल भी अब हमसे बदला लेना चाहता है। आपको बता दें कि बिहार को बाढ़ से डुबाने में नेपाल बहुत ही तत्पर हुआ है। नेपाल ने भारत से निकले वाली नदियों पर डेम बनाने से पूरी तरह से रोक लगा दी है। यही नहीं नेपाल ने कहा है कि हम किसी भी बांध को नहीं बनाने देंगे।
यानी कि नेपाल का सीधा सादा मतलब यह है कि भारत में ज्यादा पानी छोड़ो और भारत के कुछ इलाकों को बाढ़ में डुबो दें ताकि भारत के लोग तकलीफ में आ जाए और इसी तकलीफ से चीन को फायदा होगा और चीन के लोग मजे करेंगे। हमें चाइनीस प्रोडक्ट का पूरी तरह से बाइक कोर्ट करना है और हमें अपने देश की स्वदेशी कंपनियों को बहुत ज्यादा आत्मनिर्भर बनाना है। यानी कि कोई भी प्रोडक्ट अगर आप खरीदे हैं तो स्वदेशी प्रोडक्ट ही खरीदे चाहे थोड़ा ज्यादा पैसा देना पड़े, लेकिन उस प्रोडक्ट की गुणवत्ता और वह जो पैसा जा रहा है, वह पैसा हमारे देश में ही आएगा। अगर हमारे ही देश में पैसा आएगा तो हमारा देश और भी ज्यादा सक्षम बनेगा और आत्मनिर्भर बनेगा।